लफ्जों मे इश्क का इस तर्जुमां नही होता
बेजुबां होता है ये बा जुबां नही होता
इश्क से बढ के कोई सायेबां नही होता
इश्क का दुनिया मे पर पासबां नही होता
फसाना इश्क का जन्नत से भी पुराना है
ये गम है वो जो कभी दास्तां नही होता
मै उसके पीछे वो किसी और के पीछे
सब्र का इस से बडा इम्तेहां नही होता
इश्क की हद है बेहद से और बेहद तक
हद इसकी कोई ज़मीं आसमां नही होता
उसका कहना है के मै भुल जाउँ अब उसको
भूलने वाला कभी बदगुमां नही होता
कोई कहता है दैर मे है कोई हरम मे है बस
वो वहां होगा मगर वो कहां नही होता
जानलेवा है खलीश कितनी ये मुहब्बतकी
सिवाये खुद के जिसका राजदां नही होता
कोई कहता है जले ये तो कोई कहता है वो
बगेर आग पर सच मे धुआं नही होता
तलाशने से नही मिलता सुरागे इश्क कभी
जहां तलाशो इसे ये वहां नही होता
बेजुबां होता है ये बा जुबां नही होता
इश्क से बढ के कोई सायेबां नही होता
इश्क का दुनिया मे पर पासबां नही होता
फसाना इश्क का जन्नत से भी पुराना है
ये गम है वो जो कभी दास्तां नही होता
मै उसके पीछे वो किसी और के पीछे
सब्र का इस से बडा इम्तेहां नही होता
इश्क की हद है बेहद से और बेहद तक
हद इसकी कोई ज़मीं आसमां नही होता
उसका कहना है के मै भुल जाउँ अब उसको
भूलने वाला कभी बदगुमां नही होता
कोई कहता है दैर मे है कोई हरम मे है बस
वो वहां होगा मगर वो कहां नही होता
जानलेवा है खलीश कितनी ये मुहब्बतकी
सिवाये खुद के जिसका राजदां नही होता
कोई कहता है जले ये तो कोई कहता है वो
बगेर आग पर सच मे धुआं नही होता
तलाशने से नही मिलता सुरागे इश्क कभी
जहां तलाशो इसे ये वहां नही होता