मै भी और कैदे आह मे तु भी
दिलकी हुं बारगाह मे मै भी
दिलकी है ख्वाबगाह मे तु भी
ए चमन मुझसे दोस्ती कर ले
हश्र की है निगाह मे तु भी
शहरे उल्फत की आ हवा खाले
सिख जायेगा वाह वाह तु भी
दिल किसीके तन किसी के साथ
शरीक है गुनाह मे तु भी
है मसर्रत के दोनो दावेदार
गम मे मै भी कराह मे तु भी
ए मेरे दोस्त समा जा आ जा
धड़कनों की पनाह मे तु भी