बुधवार, 19 दिसंबर 2018

ए चमन मुझसे दोस्ती कर ले


राह मे मै भी राह मे तु भी
मै भी और कैदे आह मे तु भी

दिलकी हुं बारगाह मे मै भी
दिलकी है ख्वाबगाह मे तु भी

ए चमन मुझसे दोस्ती कर ले
हश्र की है निगाह मे तु भी

शहरे उल्फत की आ हवा खाले
सिख जायेगा वाह वाह तु भी

दिल किसीके तन किसी के साथ
शरीक है गुनाह मे तु भी

है मसर्रत के दोनो दावेदार
गम मे मै भी कराह मे तु भी

ए मेरे दोस्त समा जा आ जा
धड़कनों की पनाह मे तु भी

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...