सोमवार, 31 दिसंबर 2018

कितनी हसीं है शाम कोई गीत सुनाओ


कितनी हसीं है शाम कोई गीत सुनाओ
हो गम हर इक तमाम कोई गीत सुनाओ

मौसम है ख्वाहिशों का और तन्हाईका आलम
ना लो और इन्तेकाम कोई गीत सुनाओ

मैखाने से मदहोशी के बेताब हसरतों 
उलफत के आये जाम कोई गीत सुनाओ


घूंघट उठा के फुलोँ का रंगों के सहन मे
खुशबू करे सलाम कोई गीत सुनाओ

ख्वाबिदा आरजूओं मेरे साथ उसको भी
दे वस्ल का पैगाम कोई गीत सुनाओ

लम्हे है हिज्र के पर एहसास के लम्हों
लेकर के मेरा नाम कोई गीत सुनाओ

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...