सोमवार, 10 दिसंबर 2018

होंठोंसे जो लग जाये शराबों की तरहा है

वो खुशबू सा है ना के गुलाबों की तरहा है
वो रात नही रात के ख्वाबों की तरहा है

है उसकी अदायें सवालों की तरहा पर
वो सारे सवालों के जवाबों की तरहा है

आंखों के सामने हो तो है लुत्फ की तरहा
होंठोंसे जो लग जाये शराबों की तरहा है

जहां दुनिया फसाना है फकत रंज ओ गम का
वो खिलती बहारों के शबाबों की तरहा है

हर रंग कयामत का सिमट आया है उसमे
हर रंग प्यार की सौ किताबों की तरहा है

अल्फाज मे एहसास को ढाले तो किसतरहा
वो मस्त खुशमिज़ाज रुआबों की तरहा है

ये दुःख साला... (राधे भैया to संदीप भैया)

  पुष्पा भैया पूछते हैं कि ये देश इतना दुख obsessed कबसे हो गया. तेरे नाम के 'राधे भैया' के फेलियर के बाद युवाओं का नया आदर्श सन्दीप...