इक मस्तीभरी पुरवाई जैसे
इक शोखी हवा हवाई जैसे
रंगत पे मतवाली चांदनी
झूम झूम के छाई जैसे
रुप सुरीला तेरा एइसे
हो बिस्मिल की शहनाई जैसे
बहकी बहकी कलम गालिबकी
साहिरकी कलम ललचाई जैसे
देख के तुझको मन युं डोले
मौसम ले अंगडाई जैसे
चांद मे रौनक फुल मे खुशबू
है तुझसे ही आई जैसे
रात की मस्ती मै की खुमारी
मांगे तुझ से दुहाई जैसे
इक शोखी हवा हवाई जैसे
रंगत पे मतवाली चांदनी
झूम झूम के छाई जैसे
रुप सुरीला तेरा एइसे
हो बिस्मिल की शहनाई जैसे
बहकी बहकी कलम गालिबकी
साहिरकी कलम ललचाई जैसे
देख के तुझको मन युं डोले
मौसम ले अंगडाई जैसे
चांद मे रौनक फुल मे खुशबू
है तुझसे ही आई जैसे
रात की मस्ती मै की खुमारी
मांगे तुझ से दुहाई जैसे