बुधवार, 5 दिसंबर 2018

जूनूने इश्क मे राहत तलाशता हुं मै

जो तेरी मस्त नजर के पयाम आ जाये
तो दिन के ढ़लने से पहले ही शाम आ जाये

मैकदे जाके मिले मय तो बडी बात है क्या
बात तो तब है के सोचूं और जाम आ जाये

जहां मे हुं मै जहां से पर आशना नही
किसीको देखूं याद तेरा नाम आ जाये

जूनूने इश्क मे राहत तलाशता हुं मै
नजर मे मेरी काश तेरा बाम आ जाये

बिमारे इश्क हुं इक मेरी तमन्ना है यही
मेरे हिस्से मे गमे दिल तमाम आ जाये

खलीश जुदाईकी होगी या कशीश वस्लकी वो
मेरी कलम की जद मे जो कलाम आ जाये

हमने बस तुझसे मुहब्बतका सिला मांगा था
ये ना मांगा था अर्श के सलाम आ जाये

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...