शुक्रवार, 7 दिसंबर 2018

बन्द पलकों को उसकी मैने कई बार चूमा है

क्या इलाजे इश्क तुने बनाया ए खुदा है
के मर्ज़े मुहब्बत की मुहब्बत ही दवा है

जब जब इस अब्रे इश्क का सीना दुखा है
सहरा मे भी शादाब चमनजार खिला है

होश का हर टापू है मौजों से घिर गया
बेकरार जवानी का ये दरिया जब चढा है

जागी उसकी नस नस मे तमन्ना की नागिनें
एहसास की शराब को जिसने भी चखा है

दिल ने हमेशा समझा आशिकी को सचाई
जिसे चलती फिरती छावों तजुर्बों ने कहा है

वहशी कोई चुरा न ले आँखोंकी नमी ये
इस जल को मैने पूजा मे इस्तेमाल किया है

गमे दिल से ना टूटेगा जज़बातों का नाता
खामोश दिलकी राख मे अंगारा दबा है

दिलकश है बहोत प्यारकी खुशफहमी भी या रब
बन्द पलकों को उसकी मैने कई बार चूमा है||

ये दुःख साला... (राधे भैया to संदीप भैया)

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