कभी हस रहा हुं कभी गमजदा हुं
मुहब्बत की या रब गजल गा रहा हुं
तसव्वुर युं दिल मेरा भरमा रहा है
जँहा देखता हुं उसे पा रहा हुं
जानिबे मकतल मै अरमानों को ले
अब उससे बिछुडके चला जा रहा हुं
महसूस होता है दीवानगी मे
कभी आ रहा हुं कभी जा रहा हुं
अकेला उसे याद करके सफर मे
खयालों से बस दिलको बहला रहा हुं
मै हर एक मुश्किल मे गम को भुलाके
इक दिलके सहारे बढा जा रहा हुं
जमी से फलक तक जहाने तलब मे
बस उसकी झलक को मरा जा रहा हुं
मुहब्बत की या रब गजल गा रहा हुं
तसव्वुर युं दिल मेरा भरमा रहा है
जँहा देखता हुं उसे पा रहा हुं
जानिबे मकतल मै अरमानों को ले
अब उससे बिछुडके चला जा रहा हुं
महसूस होता है दीवानगी मे
कभी आ रहा हुं कभी जा रहा हुं
अकेला उसे याद करके सफर मे
खयालों से बस दिलको बहला रहा हुं
मै हर एक मुश्किल मे गम को भुलाके
इक दिलके सहारे बढा जा रहा हुं
जमी से फलक तक जहाने तलब मे
बस उसकी झलक को मरा जा रहा हुं