शनिवार, 2 मार्च 2019

सैनिक 🇮🇳 भाग 5

मेरी ✍ से

मोबाइल से अब सिर्फ  आवाजें  उनकी आ रही थी,
जब सब अमीत से घर जाने कि इजाजत ले रहे थे। अचानक एक सहेली ने मोबाइल आॅफ कर दी थी, संजना को तो होश ही नहीं था, वह तो बस अपनी पलकों से आँसू ही बहा रही थी।
ऐसा नहीं था सिर्फ वह ही रो रही थी, उसकी सहेलियों कि आँखे भी नम थी पर जीतनी संजना कि आँखे आँसू बहा रही थी उतनी नहीं क्योंकि वह पागल फौजी तो वही था जिससे उसकी सगाई होने वाली थी।
बाहर और एक शख्स का रो रो कर बुरा हाल था और वह थी संजना कि माँ..
संजना कि माँ मोबाइल बंद होते ही वहां से हट चुकी थी, क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि उसे रोती हुई उसकी बेटी देख ले।
बड़ी देर बाद एक सहेली कहती है कि, बड़ी अजीब थी न कहानी?
तब संजना अपना सर झुकाये ही जवाब देती है,कहानी अजीब नहीं थी मगर वह फौजी जरूर अद्भुत था, उसकी मोहब्बत को क्या नाम दूँ मैं कमबख़्त उसके लिए खुबसूरती भी कोई मायने नही रखती थी।
एक बूँद भी कहीं हवस या जिद कि नहीं थी अपने एंजल को पाने कि। कमबख़्त लोग मोहब्बत में अपने लिए कल कि फिक्र करते हैं और वह पागल फौजी अपनी एंजल कि फिक्र में वक्त से पहले सरहद में चला गया।
मुझे उसकी एक बात ने बहुत रूलाया है, शायद मैं कभी उस बात को भूल न सकूं,
"मनहूस" 
मोहब्बत सभी करते हैं, जान कि आखरी बाजी लगाकर भी अपनी मोहब्बत को हासिल करने कि कोशिश करते हैं लोग, और हम कहते है सच्ची मोहब्बत है, किसी को पाने कि जिद भले मोहब्बत हो मगर ये सच है कि उसमें मोहब्बत का जिस्म भी जुड़ा होता है, इसे हम हवस तो नहीं कह सकते मगर किसी को पाने कि जिद में मोहब्बत के साथ कहीं न कहीं उसकी खुबसूरती और खुबसूरत जिस्म भी जुड़ा होता है।
और उस पागल फौजी कि मोहब्बत तो देखो, कमबख़्त न जिस्म का लालच न खुबसूरती कि दीवानगी, बस फिक्र ही फिक्र खुद से ज्यादा अपनी एंजल कि,
कमबख़्त अपने शहीद होने डर से कमबख़्त डरा नहीं वल्कि उसकी एंजल को कोई मनहूस न कह दे कमबख़्त इस डर से उसने सगाई तक नहीं कि,
तभी एक सहेली पूछती है,
अच्छा बता तो ? तुझे देखने आया लड़का भी तो फौजी था, वह भी तो सगाई से पहले सरहद पर चला गया था,
कहीं वह फौजी ये बाबुल तो नहीं?
संजना उसकी बातों को नजरअंदाज करते हुये उल्टा सवाल करती है।
अगर सच में वह पागल फौजी ही हुआ जो मुझसे सगाई किये बिना सरहद चला गया है तो बताओ कि मुझे क्या करना चाहिए?
सब खामोश हो गये किसी के पास कोई जवाब नहीं था।
संजना- चलो अपनी बताओ, अगर ये घटना हम मे किसी एक साथ घटती तो तुम सब क्या करते, मगर सोच के बताना कि तुम्हारी सगाई किसी और के साथ हो चुकी है😢
अब भी किसी के पास जवाब नहीं था, होता भी कैसे क्योंकि आखीर वह सभी अच्छी लड़कियां थी, अपने माँ बाप के फैसले का सम्मान करती थी,
जवाब देती भी क्या देती,
तब संजना कहती है कि, हाँ वह पागल फौजी ही है जो मेरे साथ रिश्ते के लिए आया था, और सगाई किये बिना सरहद पर चला गया, मै हैरान थी कि आखिर वह क्यों अचानक सगाई किये बिना सरहद चला गया, हाँ वैसे मैं बेहद खुश थी, मगर आज उसने मेरे सारे सवालों का जवाब मेरी पलकों में  बेशुमार दर्द देकर चला गया।
पता है उसने एक बात और एक बेहद गहरी कही थी, कि...कमबख़्त ने पलकों पर मेरी नमी लाई है, इसलिए आखरी साँस तक वह याद आती रहेगी।
हाँ उसने तो मुझे दो गुना वापस कर दिया है मेरी पलकों पर आँसूओं का सैलाब लाकर।
सहेली- अब तू क्या करेगी संजना? एक तरफ तेरी सगाई अमीत से हो चुकी है जो बेहद अच्छा लड़का है और दूसरी तरफ वह पागल फौजी जो तुमसे अद्भुत मोहब्बत कर बैठा है।
आसन नहीं है तेरे लिए फैसला करना।
संजना- तुम सबने भी तो जवाब नहीं दिया कि यदी तुम सब मेरी जगह होती तो क्या करती।
अभी किसी बात का जवाब या फैसला करने कि घड़ी नहीं है।
वक्त अपने आप सभी चीजों का हल ढूंढ लेगा, अभी हमें कुछ करना है हमारे उन जवानों के लिए जो हमारी और हमारे देश कि सुरक्षा के लिए दोकलाम में दुश्मनो के साथ युद्ध करने गये हैं।
सहेली- मगर हम कैसे उनकी सहायता कर सकते हैं बोल तो तू?
संजना- वह हमारे लिए खुद कि जान कि परवाह नहीं करते, तो हमारा भी फ़र्ज बनता है की उनकी सलामती के लिए हम सब रोजा रखे उपवास रखे व्रत रखे उन सब फौजीयों के लिए जो इस वक्त युद्ध में तैनात है, लोगों को जागरूक करें,  घर घर जाकर लोगों को बताये, रैलियाँ निकालकर सरकार और समाज को सचेत करे कि हर परिस्थिति के लिए फौजी भाईयों कि मदद के लिए तैयार रहें, उन्हें बुलेट से लेकर खाना, खाना से लेकर कपड़ो तक कि युद्ध के वक्त कोई कमी न हो।
सभी सहेलियां तैयार हो जाती है।
और कल मिलने को कहकर सभी अपने अपने घर ये सोचती हुए चली जाती है कि, न जाने संजना किस हालत से गुजर रही होगी।
इधर संजना अपने कमरे में ही अकेली बाबुल को सोचते हुए बैठी थी कि मम्मी गरमा गर्म Coffee लाकर देती हुई बोलती है, चल बेटी गरमा गर्म Coffee पी ले, शरीर में जान आयेगी।
संजना- मैं मर गयी क्या मम्मी??😂
मम्मी- मरे तेरे सरहद के दुशमन 🤪
संजना- क्या?????
मम्मी- मेरा मतलब चाईना वाले🤪
संजना- ये आपको क्या हो गया है मम्मी, ये शरहद ये चाईना,क्या लगा रखा है?
मम्मी- अच्छा? मेरी भोली बेटी अब मुझे भोली समझ रही है, जा पहले आईने में अपनी सूरत देख खासकर तेरी आँखे,
संजना- क्यों क्या हुआ मेरी आखों को ठीक तो है,
मम्मी- जो कहती हूँ कर ले जल्दी वरना तेरे पापा आयेंगे तो तू अपनी माँ के जैसे अपने पापा से बहस नहीं कर पायेगी।
संजना हैरान रह जाती है माँ कि बातों से फिर कुछ देर माँ को देखने के बाद, अचानक माँ से गले लिपटकर भर्राई आवाज़ में सवाल करती है,
क्या माँ तूने भी सुन ली वह सारी बातें?
मम्मी भी बेटी को गले लगाकर भर्राई आवाज़ में जवाब देती है, तेरे पापा को क्या कहूँ मैं, वैसे तो वह तुझे बहुत प्यार करते हैं, हर बार सही फैसला लेते है मगर ...इस बार बहुत बड़ी गलती ही नहीं गुनाह ही हो गया है उनसे,
जैसा नाम वैसा निकला वह पागल फौजी।
संजना- पापा को दोष मत दीजिये , मेरे लिए उन्हें जो अच्छा लगा उन्होंने वही किया, सब मेरी किस्मत है माँ, अमीत से शायद मै खुश रहूंगी क्योंकि वह अच्छा लड़का है क्योंकि मै उसे करीब से जानती हूँ, बस तकलीफ इस बात कि है कि, उस पागल फौजी ने बस एक सेकेंड में मुझे उसे फरिश्ता मानने पर मजबूर कर दिया है। उसने दूर रहकर भी मेरी जज़्बातो को बखूबी समझा, और जाते जाते भी मुझे महफ़ूज कर गया। जिसने मेरी जिंदगी कि इतनी फिक्र कि है अब मेरा भी हक बनता है कि मै उसके लिए कुछ करूँ ।
मम्मी- क्या कर सकेगी उसके लिए जबकि तू अब किसी और कि अमानत हो चुकी है
संजना- जब तक युद्ध खत्म नहीं होता उसकी सलामती और लम्बी उम्र के लिए व्रत रखूंगी, मैं चाहती हूँ कि वह अब सही सलामत सरहद से वापस अपने घर लौटे, ताकी उसे  मुझसे भी बेहतर कोई खुबसूरत और अच्छी एंजल मिले😢
कहते हैं न कि फिक्र हो तो दोनों तरफ से हो, उसने अपना काम कर दिया अब मेरी बारी है।
मम्मी- युद्ध लम्बा भी चल सकता है बेटी, क्या तू अंत तक व्रत रखेगी?
संजना- युद्ध तो शुरू नहीं हुआ है अभी बस आमने सामने हैं, युद्ध टल भी तो सकता है।
मम्मी- अगर तेरे पापा को पता चल गया तो?
संजना- क्या करेंगे, डांटेगे या तो फिर मेरी सगाई किसी और से कर देंगे 🤣
मम्मी- hahaha..पागल, तेरे पापा को और आता क्या है 🤪
संजना- शायद उसे सरहद तक खबर भी पहुँच गयी होगी कि मेरी सगाई हो चुकी है बोलकर।
मम्मी- न भी पहुंची हो तो भी उस पागल को कोई असर ही नहीं होगा जो अपने लिए  जीने से ज्यादा देश के लिए मरना चाहता हो।
मम्मी आगे कहती है, अच्छा एक सवाल अगर तेरी शादी बाबुल से हो गयी तो तू क्या करेगी?
संजना- माँ को देखते हुए मुस्कुरा कर मजाकिया लहजे में कहती हुई दौड़ कर वाश रूम मे घुस जाती है,
" भगवान को इतनी फुर्सत कहाँ जो इंसानो कि फरियाद सुन सके"
इधर मम्मी भी मुस्कुरा देती है मगर ये सोचकर मम्मी चिंतित हो जाती है कि उसे फौजी से बेपनाह प्यार हो गयी है ।
मगर सगाई तो किसी और से हो चुकी है। माँ तो आखिर माँ ही होती है बच्चों को तकलीफ में देखकर खुद ही परेशान और दुखी हो जाती है।
इधर संजना ने अपने सहेलियों को फोन करके कहा कि हमारे सभी दोस्तों को फोन करो, और जिन जिन को हमारी रैली में शामिल होना है खुशी से उनकी एक लिस्ट बनाओ, कल हम बैनर सारे बनायेंगे, फिर परसो रैली निकालेंगे।
इधर संजना मार्केट जाकर सारा समान खरीद लाती है बैनर के लिए और साथ ही भारत कि शान छोटे छोटे तिरंगा।
उस दिन सबकुछ ठीक गया, सुबह नाश्ते पर जब संजना नहीं आयी तो पापा ने पूछा उसकी मम्मी से कि संजना नाश्ता नहीं करेगी क्या?
मम्मी- उसने आज व्रत रखा है ।
पापा- व्रत???? किस लिए, किसके लिए, आखिर क्यों? बहुत सारे सवाल एक बार में ही वह दाग देते हैं।
मम्मी- आप ही कि प्यारी लाडली है, आप ही पूछो न वजह क्या है, मुझे बताती कहाँ है कहकर मम्मी ने झूठ बोल दिया ।।
पापा खुद उठकर जब संजना के कमरे में गये तो अंदर से दरवाजा बंद था, नोक करने पर संजना ने ये सोचकर दरवाजा खोल दिया कि मम्मी होगी मगर पापा को देखते ही चौंक गयी।
पापा शायद डांटने वाले थे मगर संजना कि हालत देखकर हंस पड़े क्योंकि संजना अंदर बैनर लिख रही थी, और रंग है कि उसके चेहरे से लेकर पूरे कपड़े में लगा था पापा को हंसते देखकर संजना भी हंस पड़ी ।
पापा- ये सब क्या है बेटी? फिर अंदर बैनरो का जमावड़ा देखकर हैरान रह जाते हैं।
पापा सवाल भरी नज़रों से बेटी कि तरफ देखते हैं,
शायद आज पहली बार संजना ने इतनी हिम्मत दिखाई थी पापा से बात करने के लिए ।
तब तक मम्मी भी आ चुकी थी और छोटा भाई भी।
संजना मुस्कुराते हुए एक बैनर उठाकर पापा मम्मी को दिखाती हुई बोलती है, कैसा है पापा?
पापा पढ़ते है,
मेरे देश के वीर सपूतों हम तुम्हारे साथ हैं,
पापा एक एक करके सब पढ़ते हैं,
भारतीय सैनिकों तुम जीयो हजारों साल,

तुम अकेले नहीं हो तुम्हारे साथ पूरा देश दुश्मनों से लडेगा।

पापा हैरान और आश्चर्य चकित होकर पूछते हैं।
ये सब आईडिया तूझे कहाँ से आया बेटी?
संजना कुछ देर उस बैनर को देखती है जिसमें लिखा था तुम जियो हजारों साल, फिर नम आखों से पापा कि ओर देखकर कहती है।
खबर है कि हमारे देश के वीर सपूत दोकलाम में चाईना के साथ युद्ध के लिए डटे हैं, सुना ये भी है कि सरहद में जब युद्ध होता है तो हवाओं से ज्यादा गोलियाँ चलती है, नजाने किस किस का बेटा वहां तैनात होगा, न जाने किस किस का पति वहां डटा होगा, न जाने किस किस मासूम बच्चों के पिता देश की रक्षा के लिए सीना ताने खडे होगें, किसी ने अपनी मंगेतर को तो किसी ने अपनी मोहब्बत को तो किसी ने सगाई छोड़ कर देश और देशवासियों की सुरक्षा के लिए वहां खुद को  समर्पित किया होगा। न जाने उनमें से कितने लौटेंगे, किसी पागल फौजी ने सच ही कहा है कि हम सरहद में जा रहे है ये घरवालों को पता है मगर कब लौटेंगे ये ईश्वर ही जानता है, मगर पापा इस बार मेरी दुआ है कि वह सभी सैनिक सही सलामत घर लौटे और मेरा वतन भी महफ़ूज रहे इसलिए मैंने व्रत रखा है, मैंने ही नहीं मेरी सभी सहेलियों ने ये कदम उठाया है।
क्या पापा, आपकी बेटी गलत है?😢
कमबख़्त वह गुस्से वाला जिद्दी बाप भी खुद कि पलकों नम होने से रोक न सका बेटी के शब्दों से,
फिर बेटी को गले लगाकर कहते हैं, मुझे गर्व है मैं तुम्हारा  पापा हूँ, जा मेरी दुआएँ भी तेरे साथ है।
फिर बेटी कहीं आँसू देख न ले इस डर से दौड़ कर अपने कमरे में चले जाते हैं और मम्मी भी उनके पिछे पिछे चली जाती है मगर बेटी ने देख लिया था कि एक मजबूत मर्द को भी आज रोते हुए।
सामने खड़ा छोटा भाई संजना से एक बैनर अपने हाथों मे लेकर कहता है, चलो दीदी हम भी चलेंगे, संजना भीगी पलकों से अपने भाई को जोर से गले लगा लेती है, इधर पापा के पीछे पिछे मम्मी कमरे में आकर कहती है,
चलिए नाश्ता कर लिजिये वरना ठंडा हो जायेगा, फिर आपको आफिस भी तो जाना है मगर संजना के पापा अपनी पत्नी कि बातों को नजरअंदाज करके कहते हैं,
भाग्यवान...न जाने क्यों आज वह मासूम फौजी बहुत याद आ रहा है मुझे 😢
संजना कि मम्मी नाटक करते हुए कहती है कौन मासूम फौजी, किसकी बात कर रहे आप?
पापा- वह भी तो दोकलाम ही गया है।
मम्मी- अरे कौन नाम तो बताईये?
पापा- मेरे दोस्त का बेटा बाबुल बेटा
मम्मी- कौन दोस्त कौन बाबुल?
पापा- हमारे संजना के लिए जो पहला रिश्ता लेकर आया था😢
मम्मी फिर नाटक करते हुए कहती है तो?
पापा- काश मैं गुस्से में जल्दबाजी नहीं करता,
मैं उनको नीचा दिखाने पर तुला था और कमबख़्त उसके बेटे ने सरहद पर जाकर देश और हमारे खातिर जान कि बाजी लगा बैठा है।
मम्मी- चलिये नाश्ता किजीए और जाने दीजिये।
पापा- जाओ तुम कर लो नाश्ता, मैं बेटी के साथ खड़ा हूँ।
मम्मी संजना के पापा को नम आखों से गले लगाकर कहती है।
पापा हो तो आप जैसा, मैं भी आज व्रत पर ही हूँ क्योंकि अब दुआओं का दौर चलना चाहिए जब तक दोकलाम युद्ध खत्म या टल नहीं जाता,इस बार न किसी कि कोख उजडे न माँग का सिंदूर न बाप का साया😢
फिर कुछ देर में संजना के घर एक भीड़ जमा हो जाती है।
उसके पापा मम्मी सारे संजना कि मदद करते हैं, बस अमीत नहीं आया था, वह आज कहीं बाहर गया था, कल रैली में जरूर शामिल होगा उसने वादा किया था, मगर संजना के जिद्दी बाप को कौन समझाये, भीड़ देखते ही बैनर बनते ही सबको ये कहकर चौंका दिया कि शुभ काम देरी नहीं, आज ही रैली करेंगे, पूरे शहर का चक्कर लगायेंगे और फिर शहर के बीचों बीच जाकर समाप्त करेंगे।
सबने हाँ में हाँ मिलाई, फिर निकल पड़े  रैली कुछेक बीस लोगों कि टोली अगवानी खुद संजना कर रही थी क्योंकि पापा ने कहा था कि सोच तुम्हारी है इसलिए लीडर आज तुम ही हो।
सबके हाथों में बैनर और तिरंगा था और हर चेहरे पर तिरंगा का नक्शा छपा था। रैली सड़क पर ही नहीं हर घर को दस्तक देकर निकल रही थी मगर कुछ देर चलते ही रैली ने एक विशाल भीड़ का रूप ले लिया, गाड़ियाँ भी अपने आप साईड में रोक कर लोग अपनी मर्जी से रैली में शामिल होने लगे, लगभग पूरा शहर उमड़ पड़ा कि रास्ते में पुलिस ने रैली रोक कर रैली कि पर्मीसन मांगी....

आगे..

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अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...