शनिवार, 8 अगस्त 2020

लैम्पोस्ट

 उस साल जब एक खास तारीख को रात के 12 बजे उसके मोबाइल पर एक फोन नहीं आया तो उसे यकीन हो गया कि वो एक 27 साल का अधेड़ है जो इस दुनिया का नहीं है। उसे फोन न बजने से ज्यादा खीज इस बात पर आई कि उसने कभी बड़ा होकर लैम्प पोस्ट बनने का सपना क्यों नहीं देखा। वो बचपन में अपने पिता के जेब से 50 रुपये का नोट चुराने के बाद हमेशा सोचता था कि वो बड़ा होकर डॉक्टर बनेगा। अगर वो अपनी माँ के पर्स से 20 रुपये का नोट चुराता तब वो सोचता था कि वो बड़ा होकर पायलट बनेगा। एक दिन जब उसने पाया कि न ही उसके पापा के जेब मे 50 रुपये है ना ही उसके मां के पर्स में 20 रुपये है तब उसने सोचा वो बड़ा होकर कोई भी नौकरी कर लेगा। वो कभी कभी खुद को अपने सपने में एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी करते देखता था।

वो जब बड़ा हुआ तब ना ही डॉक्टर बना ना ही पायलट ना ही क्लर्क बन पाया। कुछ नहीं बन पाने की स्थिति में हमेशा भगवान बन जाने की संभावना का मंदिर होता है, मस्जिद भी होता है। संभावनाओं के इबादतगाह में पूजा नहीं होती नमाज नहीं पढ़ी जाती। यहां लोग टिक टैक टो जैसे खेल खेलते या फिर कॉफी पीते हुए इंतजार करते। वो भी कभी कभी संभावनाओं के मंदिर में कभी कभी देर तक टिक टैक टो खेलता। वो संभावनाओं के मंदिर में कभी भी टिक टैक टोक के खेल में नहीं जीता। या तो वो हार जाता या फिर खेल में न जीत होती न हार होती। एक बार जब संभावनाओं के मंदिर में वो काफी लम्बे समय तक टिक टैक टो खेलने के बाद भी वो न जीत पाया न हार पाया तब वो कॉफ़ी लेकर इंतजार करने लगा।
इन्तजार शब्द बस एक शब्द नहीं था। किताबों और ख्यालों से निकलकर यह शब्द कभी कभी एक मर्तबान बन जाता था जिसमें सुंदर लडकियाँ उडती थी। इसी मर्तबान से एक दिन एक सुन्दर लड़की उड़ते उड़ते बहुत बाहर निकल आई। लड़की काफी सालों से उड़ रही थी इसलिए वो कुछ देर चलना या तैरना चाहती थी। लड़की बाहर एक सड़क पर काफी देर तक पानी ढूंढती रही। लड़की को एक बारगी अपने गालों पर पानी के निशान मिलें लेकिन तैरने के लिए इतना पानी काफी नहीं था। लड़की को पता था कि इतने पानी में सिर्फ डूबा जा सकता है इसलिए उसने तैरने का ख्याल दिल से निकाल दिया। वो चलने लगी। वो चलते चलते संभावनाओं के मंदिर पहुंची और टिक टैक टो खेलने लगी।
संभावनाओं के मंदिर में लड़के ने पहली बार इतनी सुन्दर लड़की को टिक टैक टो खेलते देखा था। इस से पहले भी उसने एक सुन्दर लड़की को एक मंदिर में ही देखा था लेकिन वो संभावनाओं का मंदिर नहीं था। वो आडम्बर का एक मंदिर था जिसे एक हारे हुए मूर्तिकार ने बनाया था। आडम्बर के मंदिर में पहली लड़की पूजा करती थी और व्रत रखती थी। लड़के ने इस लड़की से बिना कुछ औपचारिकता के चुमते हुए पूछा "हर साल एक ख़ास दिन रात १२ बजे फोन करोगी"। पूजा करने वाली लड़की को चूमे जाने की आवाज में दुनिया की सबसे खुशबूदार अगरबत्ती की सुगंध आई और उसने हाँ कह दिया। आडम्बर के मंदिर वाली लड़की काफी सालों बाद लड़के द्वारा चूमे जाने के बाद कहा उसे अस्थमा है। और इतना कहकर वो गायब हो गयी थी। लड़का भी गायब होना चाहता था पर उसे कभी अस्थमा नहीं हुआ इसलिए वो क्लर्क बनने के सपने देखने लगा। वो चाहता था कि उसके साथ कुछ होने से ज्यादा अच्छा यह है की वो कुछ हो जाए। कुछ हो जाने की चाहत में ही वो संभावनाओं के मंदिर में टिक टैक टो खेलता या कॉफ़ी पीता।
दूसरी सुन्दर लड़की को संभावनाओं के मंदिर में आये अभी कुछ देर नहीं हुआ था लेकिन लड़के को कॉफ़ी पीते पीते एक अरसा हो गया था इसलिए उसने सुन्दर को लड़की को चुमते हुए पुछा "हर साल एक ख़ास दिन रात १२ बजे फोन करोगी"। सुन्दर लड़की ने लड़के को खुद से दूर करते हुए पूछा
"क्यूँ! क्यूँ करूँ फोन"।
"मेरे अन्दर बहुत प्रेम है। सीना चीर कर दिखाऊं।"
लड़की ने लड़के की बातों पर ध्यान नहीं दिया। वो संभावनाओं के मंदिर में आँखें बंद कर के कुछ बुदबुदाई। उसकी बुदबुदाहट में प्रार्थना नाम की एक मछली की खुशबू आ रही थी। वो मर्तबान में भी कई बार यही प्रार्थना करती थी लेकिन मर्तबान में संभावनाओं का मंदिर नहीं था इसलिए शायद उसकी प्रार्थना सुनी नहीं जाती थी। संभावना के मंदिर में उसकी प्रार्थना सुनी गयी और उसकी बुदबुदाहट में छिपी प्रार्थना की मछली धप्प से जमीन पर गिरी और चाक़ू बन गयी।
सुन्दर लड़की ने बिना किसी औपचारिकता के चाकू से लड़के का सीना चिर दिया और कहा "कहाँ हैं प्रेम।" लड़के ने भी अपनी छाती में झाँका। लड़की बहुत जोर से चींखी "तुम्हारी छाती में प्रेम नहीं बस कंफ्लिक्ट भरा हुआ है। लड़की रोते हुए भागने लगी। लड़का चीखा "कहाँ जा रही हो"। "वापिस, इन्तजार के मर्तबान में"।
लड़का संभावनाओं के मंदिर में काफी देर तक मूर्ति जैसा खडा रहा। उसके सीने में चाक़ू था और जख्म से खून और कंफ्लिक्ट बह रहा था। सम्भावना के मंदिर में मौजूद टिक टैक टो खेलने वाले और कॉफ़ी पीने वाले लोगों ने कहा "तुम जब इतने देर से मूर्ति बने खड़े ही हो तो इस मंदिर के देवता क्यूँ नहीं बन जाते"। लड़के को अहसास हुआ की वो काफी समय से मूर्ति बना हुआ है। वो देवता नहीं बनना चाहता था। उसे जब इस बात का पता चला की उसके सीने में प्रेम की जगह कोफलिक्ट है तब उसे लगा की वो इस दुनिया का नहीं है। वो इस दुनिया में कभी अपनाया नहीं जा सकता। वो तेजी से भागा। उसे देवता बनना पसंद नहीं था। वो लैम्पपोस्ट बनना चाहता था। वो भागने लगा। लोगो ने पूछा "कहाँ जा रहे हो?"
"लैम्पपोस्ट बनने"।
लोगो ने सूना "शराबखाने जा रहा"।
लड़के ने कहीं से एक बात सुन रखी थी एक आदमी शराबखाने में शराब पीने के बाद रेल की पटरी बन गया था। लड़के को इस बात से उम्मीद थी की शायद वो भी शराब पीकर लैम्पपोस्ट बन जाए। वो सुनी बातों पर काफी यकीन करता था। आडम्बर के मंदिर में पूजा करने वाली लड़की के मुंह से उसने एक दिन सुना था की वो लड़के के साथ रहकर वो धीरे धीरे रेत बन रही है। वो एक दिन गायब हो जायेगी"।
शराबखाने में काफी देर तक शराब पीने के बाद वो एक सड़क किनारे खडा हो गया जहाँ काफी अन्धेरा था। उसके सड़क किनारे खड़े होते ही 2-3 लडकियां वहां आकर खड़ी हो गयी। उनमें से एक लड़की जिसने अपने होठों में शायद अपने किसी पुराने आशिक या फिर अपने पूर्वजन्म के किसी साथी का खून लगाया हुआ था, ने पूछा "चलोगे मेरे साथ"।
"मैं चलने के लिए यहाँ नहीं रुका हूँ। मैं यहाँ ठहरने आया हूँ। तुम देख नहीं रही हो की मैं लैंपपोस्ट बनने आया हूँ।
"पी के आया है क्या?" इतना कहकर पहली लड़की ऐसे हंसी जैसे किसी बच्चे ने उब में आकर तालाब में एक पत्थर को ऐसे फेंका हो जैसे पत्थर पानी को 7-8 बार अलग अलग हिस्सों में चूमकर डूबे।
दूसरी लड़की खामोश थी वो नहीं हंसी। दूसरी लड़की जिसने अपनी आँखों में किसी बर्बाद अन्तरिक्ष के पुराने ब्लैकहोल को लगाया था, ने लड़के से पूछा "तुम लैंपपोस्ट क्यूँ बनना चाहते हो?" लड़के को उम्मीद नहीं थी कि वो लड़की ऐसा सवाल करेगी। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या जवाब दे।
"मैं इस दुनिया का नहीं हूँ। मुझे इस दुनिया में डॉक्टर, पायलट या क्लर्क नहीं बनना। मैं चाहता हूँ कि मैं कुछ न बनने के बाद लैम्पपोस्ट बनूँ और फिर आते जाते लोगों को देख सकूँ। मुझे उन सभी 7-8 साल के बच्चों के चेहरे देखने हैं जिनकी जेब में 20 या पचास रुपये का वो नोट होता है जो वो अपने माँ-बाप के बटुवे से चुराते हैं। मुझे दुनिया भर के तमाम पायलटों, डॉक्टरों और क्लर्कों के चेहरे देखने है। मुझे 7 का साढ़े तीन प्रतिशत निकाल पाने वाले लोगों के चेहरे देखने हैं। मुझे इन्तजार के मर्तबान में फंसी सभी लड़कियों को बताना है कि कंफ्लिक्ट में भी प्रेम होता है। उतना प्रेम जितना इस बात में झूठ होता है कि मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगी.....
"
दूसरी लड़की लड़के कि इन बातों को सुनकर न हंसी न रोई। उसकी आँखों के ब्लैकगोल में पुच्छल तारा जैसा कुछ गिरा। वो कुछ देर वहीँ खड़ी रही फिर एक चलती गाडी को इशारे से रोककर चली गयी। जाते हाते उसने कहा "चले जाओ। तेज तुफान आने वाला है"।
उस रात सच में बहुत तेज तूफ़ान आया। कुछ तूफानों की खबर अखबारों में छपती है कुछ तूफानों का कहीं जिक्र नहीं होता। लड़के के हिसाब से आगे दिन अखबार के पहले पन्ने पर यह छपना चाहिए था "संभावनाओं के देवता कि चाक़ू लगने से मृत्यु" या कनफ्लिक्ट की कमी से लैम्पपोस्ट की मृत्यु। लेकिन लड़का इस दुनिया का नहीं था। उसकी सोच शायद इस दुनिया के लोगों से नहीं मिलती थी। वो खुद को इस दुनिया में एक प्रवासी समझता था। शायद यही वजह थी की अगले दिन अखबार के सातवें पन्ने पर एक छोटी सी खबर छपी "कल रात आये तूफ़ान की वजह से पुराने शहर का एक बिजली का खम्भा गिरा। हादसे में एक नशे में धुत्त व्यक्ति के शारीर पर खम्भा गिरने से मृत्यु"।

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