सोमवार, 18 मई 2020

सागर अपने कपड़े , सामान जल्दी - जल्दी से बैग में भर रहा था। लगता था कि वह बहुत जल्दी में है।तभी माँ नें एक फोटो हाथमें लिए कमरे में प्रवेश किया। उन्होंने एक उचटती हुई निगाह कमरे के अस्त - व्यस्त सामान पर डाली और फोटो बेड पर रखती हुई बोलीं:--
 
                  बेटा इसे देख लेना। पहले भी दो - तीन बार तुम्हे दे चुकी हूं पर तुम तो देखते भी नहीं। धीरे धीरे 6 महीने होने कोआए , लड़की वाले जल्दबाजी कर रहे हैं और जवाब मांग रहे हैं। 

          सागर ने फोटो फेंक दिया। 

     सागर :--      जाओ ! उन्हे जवाब दे दो ... मैं शादी नहीं करूंगा ।
              ओह ! वैसे भी बड़ी देर हो गई है। मां ! मैं राहुल के गांव जा रहा हूं। वहां बहुत बड़ा शिवरात्रि का मेला लगता है।  बड़ीदूर - दूर से लोग देखने आते हैं। साथ में विराट और वरुण भी जा रहे हैं। 8 दिन लग जाएंगे। ओह ! फोन आ रहा है। सभी स्टेशनपहुंच चुके हैं।   🤩
   
           जल्दी से उसने मां के पैर छुए और निकल गया। शाम तक सब लोग गांव पहुंच गए थे। राहुल का मकान खूब बड़ा वअच्छा बना था पर बहुत पुराना लग रहा था। एक चौकीदार के अलावा वहां कोई नहीं रहता था। क्योंकि राहुल के सभी घरवालेतो दिल्ली में ही रहते थे। उनके आने का समाचार पहले ही मिल चुका था इसलिए पूरा घर साफ था। किचन की व्यवस्थाचौकीदार नें ही संभाली थी। 👮🏻‍♂️
 
               दूसरे दिन सुबह सभी तैयार होकर उत्सव देखने के लिए निकल पड़े। रोज चाहे गांव के लोग कैसे भी रहते हो परआज सभी भक्ति के रंग में डूबे हुए , उत्सव - मंडप की ओर जाते हुए दिखाई दे रहे थे। 📿

            गांव के बाहर लगभग 1 किलोमीटर दूर एक विशाल झील के किनारे बहुत पुराना शिव मंदिर है वहीं फाल्गुन मास में हरसाल शिवरात्रि का  मेला लगता है।

             सागर को इससे पहले इतनी दूर अनजानी जगह , प्रकृति की गोद में इतने नजदीक से यह दृश्य देखने को नहीं मिले थे।

            फागुन के बसंत का यौवन अपने चरम पर था। पीले फूलों वाला खेत ,  सेमल के लाल लाल फूलों वाले वृक्षों की कतारों से अपना आंचल सजाए , असंख्य पुष्पों । 

     सागर इस अपार सौंदर्य को आंखों में भरता ना जाने कितनी दूर निकल गया। सहसा खिलखिलाहट से उसकी तंद्रा टूटी। 😋
 
            अनजाने में चलते - चलते झील के उस स्थान पर आ गया  था जहां कई लड़कियां किनारे पर बैठी एक दूसरे पर पानी फेंकते हुए चुहल बाजी भी कर रही थी।


              देख पंखुड़ी 😍आज तो भगवान की जमकर परिक्रमा करना , तेरे मन का मीत तुझे जरूर मिल जाएगा।

             धत्त ! बेशर्म कहीं की।। अब यहां से चलो नहीं तो सब कलश लेकर चले जाएंगे। पंखुड़ी की आवाज की मधुरता सागरके कानों से होते हुए उसके हृदय में हलचल मचाने लगी ।
   
             वह झट से सेमल के पेड़ की ओट में हो गया। अब वह पंखुड़ी की एक झलक पाना चाहता था , यद्यपि उसके शहरीशिष्टाचार के नियम उसे इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे।

           अब पंखुड़ी उठ कर खड़ी हो गई थी।  पेड़ों के पत्तों से छन -छन कर आती धूप नें , पंखुड़ी के बालों में लगे लाल - लालफूलों के गुच्छे ने , एक अद्भुत रंग संयोजना रच दी थी। बड़ी - बड़ी आंखों की लंबी पलकों को झुकाए घुंघराली लटों को समेटती वह सीधे सागर के हृदय में आकर बैठ गई थी। 😍

             सागर मन ही मन में कह उठा , बस तुम्हारी ही तो कल्पना कर रहा था मैं ,..तुम्हारी ही तलाश में तो मैं  भटकता रहा। 😅

          कहां घूम रहे हो ?  कितनी देर से हम तुम्हें ढूंढ रहे हैं ?यहां क्या कर रहे हो ? यह वरुण की आवाज थी ।

           वो मैं ........वो मैं....... सागर अटकते हुए बोला।

         वो मैं ......क्या ? कुछ भी तो नहीं है यहां ।विराट हँस रहा था। 

          चलो यारों ..... इसको ले चलो ...यह तो भांग खाया मालूम पड़ता है।

    सभी लोग मंदिर की परिक्रमा को देखने चले आए।          " हर -  हर महादेव " का गगनभेदी जयघोष करते लोगों का जत्थाअब लौट रहा था। उसके बाद महिलाओं की एक टोली कोई गीत गाते हुए वापस गांव को जा रही थी सभी पीले - लाल रंग केवस्त्र पहने थे , उनमें सबसे पीछे पंखुड़ी धीरे-धीरे जा रही थी। सहसा उसने पीछे मुड़कर सागर की ओर देखा।  नजर टकराते हीउसने जल्दी से अपना चेहरा घुमा लिया। जाने में या अनजाने में। पता नहीं। 😁

     उनके गीत की आवाज क्रमशः धीमी होती जा रही थी पर ऐसा लग रहा था कि जैसे गीत की टूटी हुई कड़ियां यही गूंज रहीहै। 

              मेले में घूमते घामते थक कर सभी लोग शाम को लौट आए। खा - पी कर विराट , राहुल , वरुण सोने चले गए परसागर को नींद नहीं आ रही थी।😬

अंतर्द्वंद

मेरी सोची हुई हर एक सम्भावना झूटी हो गई, उस पल मन में कई सारी बातें आई। पहली बात, जो मेरे मन में आई, मैंने उसे जाने दिया। शायद उसी वक्त मु...