बुधवार, 14 अप्रैल 2021

हम दोनों अब कहाँ मिलेंगे ?

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रोज धरा पर धूप खिलेगी, रोज धरा पर फूल खिलेंगे
लेकिन मेरे प्रियतम बोलो , हम दोनों अब कहाँ मिलेंगे ?

रोज हवा के ठंडे झौंके ,मुझको छूने आ जायेंगे
रोज मचलते जल के धारे , मुझको घायल कर जायेंगे /

मेरे मन के तूफानों का, रोज यहाँ पर धुआं उठेगा
मेरी चाहत के सन्नाटे , मुझको पागल कर जायेंगे /

अगर नहीं इस दुनिया में तो ,इसके बाहर कहाँ मिलेंगे ?

चारों तरफ दिशाए खाली ,बेगानी सी हो जाएँगी
बिना तुम्हारे गलियां सूनी , बोझिल बोझिल हो जाएँगी /

चाँद खिलेगा जब अम्बर पर, किसके मुखड़े को देखेगा
बिना तुम्हारे सारी झीलें ,धूमिल धूमिल हो जाएँगी /

रोज यहाँ पर धूल उड़ेगी , रोज यहां पर फूल झरेंगे
प्रियतम मेरे कुछ तो बोलो ,हम दोनों अब कहाँ मिलेंगे ?

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